🎥 श्री त्रिपुरा सुंदरी मंदिर - Aerial View

जय श्री माँ त्रिपुरा सुंदरी

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श्री त्रिपुरा सुंदरी मंदिर और पंचाल समाज 14 चोखरा का आधिकारिक डिजिटल पोर्टल

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Temple Night View - Beautiful illuminated temple complex with ornate architecture
Divine Idol of Maa Tripura Sundari - Sacred deity with golden ornaments and decorations
Temple Spire - Magnificent stone carved temple tower with traditional architecture
Main Temple Entrance - Detailed stone work and pillared entrance of the sacred temple
Temple Entrance Gate - Grand torana with Maa Tripura Sundari inscription
Temple Complex Side View - Multiple temple structures and ornate pavilions
Visitor Area - Temple complex with traditional buildings and facilities
Aerial View - Complete temple complex showing courtyards and surrounding structures
Temple Front View - Close-up of main temple with intricate stone carvings
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माँ त्रिपुरा सुंदरी

मंदिर का परिचय

श्री त्रिपुरा सुंदरी मंदिर - वागड़ की पवित्र भूमि

पवित्र भौगोलिक स्थिति

राजस्थान के दक्षिणी भाग की अरावली पर्वतमालाओं से घिरा हुआ और नदियों, तालाबों व प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर क्षेत्र बांसवाड़ा कहलाता है। यह वागड़ क्षेत्र प्राचीन काल से ही धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है। बांसवाड़ा को मिनी काशी भी कहा जाता है।

यहाँ अनेकों प्राचीन मंदिर स्थित हैं जो अपने शिल्प, वास्तुशिल्प, और भव्यता के कारण न केवल राजस्थान में, बल्कि पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध हैं।

मंदिर स्थान:

बांसवाड़ा मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर, तलवाड़ा गांव के पास स्थित। आरंभ में इस मंदिर को तारताई माता के नाम से जाना जाता था।

पुराणों में वर्णन

वागड़ क्षेत्र को पारंपरिक रूप से पवित्र भूमि माना गया है। इसका उल्लेख विभिन्न प्राचीन ग्रंथों में मिलता है:

प्राचीन नाम:
  • स्कंदपुराण में: 'गुप्त प्रदेश'
  • राजा भोज के शिलालेखों में: 'स्थली मंडल'
  • पुराणों में: 'कुमारिका खंड' एवं 'वागुरी क्षेत्र'
माही नदी की महिमा:

इस क्षेत्र से बहने वाली माही नदी को पुराणों में 'कलियुगी माही गंगा' कहा गया है। संतों और ऋषियों ने तीन नदियों के संगम की भव्यता का वर्णन करते हुए यहाँ माही नदी में स्नान को पावन और गौरव का विषय बताया है।

संपूर्ण मंदिर इतिहास

माँ त्रिपुरा सुंदरी मंदिर के विस्तृत इतिहास, वास्तुशिल्प और आध्यात्मिक महत्व की जानकारी प्राप्त करें

Temple Front ViewGarbh GrahTemple ComplexTemple Architecture

मंदिर का वातावरण एवं महत्व

प्राकृतिक सौंदर्य:

मंदिर का वातावरण अत्यंत शांत, प्राकृतिक, जागृत और दर्शनीय है। माही नदी के पवित्र क्षेत्र में स्थित यह मंदिर प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है।

श्रद्धालुओं का आगमन:

प्रतिवर्ष राजस्थान सहित पड़ोसी राज्यों गुजरात एवं मध्यप्रदेश से श्रद्धालु यहाँ माँ के दर्शन के लिए आते हैं और अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।

शक्ति पीठ:

यह स्थान राजस्थान के प्रमुख शक्ति पीठों में से एक माना जाता है।

मंदिर प्रबंधन एवं सुविधाएं

प्रबंधन व्यवस्था:

मंदिर परिसर की प्रबंधन व्यवस्था और सुरक्षा हेतु ट्रस्ट द्वारा नियुक्ति:

  • • एक पुजारी
  • • एक प्रबंधक
  • • एक सुरक्षा रक्षक (सेवानिवृत्त फौजी)
मुख्य सुविधाएं:
• जल कुटी (प्याऊ)
• शौचालय सुविधा
• उद्यान (बागीचा)
• विशाल धर्मशाला
• 1000 गैलन पानी की टंकी
• पैंट्री (रसोईघर)
भूमि एवं संपत्ति:
  • • 37.15 बीघा कृषि भूमि (सिंचाई हेतु पक्का कुआं)
  • • 3000 फीट लंबी सुरक्षा चारदीवारी
  • • 15 बीघा बाग-बगीचे और पार्किंग हेतु आरक्षित
  • • पूजा सामग्री और प्रसाद की दुकानों की श्रृंखला

Temple Timings

Daily Schedule for Darshan and Rituals

श्री त्रिपुरा सुंदरी मंदिर - दैनिक कार्यक्रम
Summer (1 Mar - 15 Oct)
Winter (16 Oct - 28 Feb)
Activity
Summer
Winter
Opening Time5:00 AM5:30 AM
Abhishek, Shringar, Pujan5:00 - 6:00 AM5:30 - 7:00 AM
Darshan Begins6:00 AM7:00 AM
Mangla Aarti7:00 AM7:30 AM
Bhog Dharna12:00 PM12:00 PM
Vishram (Rest)1:00 - 2:30 PM1:00 - 2:30 PM
Darshan Resumes2:30 PM2:30 PM
Sandhya Aarti7:15 PM6:30 PM
Closing Time9:00 PM8:30 PM

Currently Active: Summer Timings

Temple remains closed during Vishram time (1:00 PM - 2:30 PM)

माँ श्री त्रिपुरा के स्वरूप

साप्ताहिक श्रृंगार रंग योजना

दैनिक श्रृंगार रंग सारणी
क्रमांकवारपोशाक का रंग
1
सोमवार
सफेद
2
मंगलवार
लाल
3
बुधवार
हरा
4
गुरुवार
पीला
5
शुक्रवार
नारंगी
6
शनिवार
आसमानी
7
आज
रविवार
स्वर्ण पंचरंगी

आज का श्रृंगार

आज:रविवार
स्वर्ण पंचरंगी

आज माँ त्रिपुरा सुंदरी का श्रृंगार स्वर्ण पंचरंगी रंग में है

Temple Logo

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर का इतिहास

Sacred History & Divine Heritage

मंदिर का प्राचीन स्वरूप

Historical Photographs of Temple Evolution

मंदिर का प्रवेश द्वार - प्रारंभिक काल
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मंदिर का प्रवेश द्वार - प्रारंभिक काल

समुदायिक सभा - मंदिर परिसर
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समुदायिक सभा - मंदिर परिसर

मंदिर निर्माण कार्य - सामुदायिक सहयोग
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मंदिर निर्माण कार्य - सामुदायिक सहयोग

मंदिर नवीनीकरण काल
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मंदिर नवीनीकरण काल

ऐतिहासिक मंदिर - समुदायिक उत्सव
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ऐतिहासिक मंदिर - समुदायिक उत्सव

ऐतिहासिक तस्वीरों का महत्व

ये दुर्लभ तस्वीरें मंदिर के विकास की गाथा कहती हैं। इनमें पंचाल समाज के सदस्यों का अटूट समर्पण, मंदिर के विभिन्न निर्माण चरण, और समुदायिक एकजुटता का प्रमाण मिलता है। प्रत्येक तस्वीर एक ऐतिहासिक क्षण को संजोए हुए है जो हमारी सांस्कृतिक विरासत का अमूल्य हिस्सा है।

प्रारंभिक काल
निर्माण काल
नवीनीकरण काल
उत्सव काल

माँ त्रिपुरा सुंदरी के मंदिर की संरचना

माँ त्रिपुरा सुंदरी के दिव्य स्वरूप

Divine Darshan of 18-Armed Goddess

माँ त्रिपुरा सुंदरी का पूर्ण दिव्य स्वरूप - 18 भुजाओं सहित

माँ का पूर्ण दिव्य स्वरूप - 18 भुजाओं सहित

सुनहरे प्रभामंडल के साथ माँ का दिव्य रूप

सुनहरे प्रभामंडल के साथ दिव्य रूप

माँ के दिव्य मुखारविंद का निकट दर्शन

दिव्य मुखारविंद का निकट दर्शन

स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित माँ का मुख

स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित मुख

माँ के नेत्रों का दिव्य तेज

माँ के नेत्रों का दिव्य तेज

दिव्य दर्शन का महत्व

ये पावन छवियां माँ त्रिपुरा सुंदरी के दिव्य स्वरूप को दर्शाती हैं। अठारह भुजाओं वाली यह मूर्ति स्वर्ण आभूषणों, रंग-बिरंगे वस्त्रों, और ताजे फूलों की मालाओं से सुसज्जित है। माँ के दिव्य नेत्र, मुस्कान, और तेजोमय मुखारविंद भक्तों के हृदय में अपार शांति और आनंद का संचार करते हैं।

माँ त्रिपुरा सुंदरी की मूर्ति

सिंहवाहिनी मूर्ति: अठारह भुजाओं वाली विशाल प्रतिमा

ऊंचाई: लगभग 5 फीट ऊँची

अस्त्र-शस्त्र: विभिन्न प्रकार के दिव्य आयुध धारण

नौ दुर्गा: मंदिर की पीछे की दीवार पर शीतकालीन मूर्तियाँ

श्री यंत्र: देवी के पवित्र चरणों के पास स्थापित

प्रभामंडल: सुनहरा तेजोमय प्रभामंडल

श्रृंगार: दैनिक फूल-माला और रंगबिरंगे वस्त्र

Modern Temple Structure

देवी त्रिपुरा के तीन स्वरूप

प्रातः

कुमारी कन्या

सुबह के समय

दोपहर

युवा सुंदरी

दिन के समय

सायं

पूर्ण विकसित

शाम के समय

देवी त्रिपुरा सुंदरी की तीन स्वरूपों में दर्शन होते हैं – प्रातः काल कुमारी कन्या के रूप में, दोपहर में एक युवा सुंदरी के रूप में, और सायंकाल में पूर्ण विकसित स्त्री के रूप में। इसी कारण इन्हें 'त्रिपुरा सुंदरी' कहा जाता है। माँ के इस दिव्य रूप को देखकर श्रद्धालु घंटों तक ध्यानमग्न हो जाते हैं।

देवी त्रिपुरा के तात्त्विक स्वरूप

शारीरिक (भौतिक) रूप

मूर्ति के रूप में दर्शन और पूजा-अर्चना

आध्यात्मिक रूप

ध्यान और आंतरिक साधना के माध्यम से

ज्ञानीजन माँ त्रिपुरा को दो रूपों में मानते हैं – शारीरिक (भौतिक) और आध्यात्मिक। दोनों रूपों के उपासक और भक्त विद्यमान हैं।

मंदिर की स्थापना एवं विकास का इतिहास

प्राचीन इतिहास

विक्रम संवत 1540: शिलालेख से प्राप्त साक्ष्य

काल: सम्राट कनिष्क के काल से भी पहले का अनुमान

प्राचीन नगर: "गोडपोली" के तीन भाग

सीतापुरी, शिवपुरी, विष्णुपुरी: तीन भाग

नाम की उत्पत्ति: तीनों पुरी के बीच 'त्रिपुरा'

शिलालेख: 'त्रियमारी' शब्द का उल्लेख

राजकीय संरक्षण

राज्यकाल में बांसवाड़ा, डूंगरपुर, गुजरात, मालवा और मारवाड़ के राजाओं द्वारा माँ त्रिपुरा सुंदरी की पूजा की जाती थी।

मंदिर का पुनर्निर्माण और विकास

विनाश और संरक्षण

मुस्लिम आक्रमणकारी जैसे मोहम्मद गजनवी या अलाउद्दीन खिलजी ने इस क्षेत्र के मंदिरों को नष्ट कर दिया था, परंतु भक्तों ने माँ की मूर्तियों की रक्षा की।

पुनर्निर्माण के चरण:

प्राचीन काल: चांदा भाई एवं पाता भाई पंचाल (पंचाल समाज लोहार) का मार्गदर्शन

1157 ई.: पंचाल समाज चोखला द्वारा पहला शिखर स्थापना

1930 ई.: दूसरा शिखर स्थापित

1977 ई.: मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी की प्रेरणा से बड़े स्तर पर जीर्णोद्धार

ट्रस्ट पंजीकरण:

पंजीकरण: 23.12.1978

अधिनियम: राजस्थान सार्वजनिक ट्रस्ट अधिनियम 1959

ट्रस्ट नाम: "मंदिर श्री त्रिपुरा सुंदरी 14-चोखला पंचाल समाज"

क्षेत्राधिकार: बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले

मेलों और आयोजनों में योगदान

• सहस्त्र चंडी यज्ञ एवं शतचंडी यज्ञ

1981: 109 कुंडी महायज्ञ का आयोजन

8 मई 1992: पुनः शिखर स्थापना

• महायज्ञ संपन्न

हालिया विकास और आधुनिकीकरण

विकास कार्यों की सूची:

सुंदर बाग-बगीचे
फव्वारे
अतिथि गृह
कैण्टीन
सुलभ शौचालय
पार्किंग
पुलिस चौकी
आठ दुकानें
तालवाड़ा से मंदिर तक दो लेन सड़क
सड़क पर लाइट्स
वृक्षारोपण
बोटैनिकल गार्डन
सनसेट प्वाइंट
हेलीपैड
भव्य तोरण द्वार
गरबा चौक
जल कुंड
सुंदर परकोटा (बाउंड्री वॉल)

परिसर और नव निर्माण

क्षेत्रफल: 15 बीघा भूमि में फैला परिसर

प्रवेश द्वार: हनुमान मंदिर

पीछे: नीलकंठ महादेव मंदिर (2004 में पुनःस्थापित)

5 अप्रैल 2006: स्वर्ण कीर्ति स्तंभ स्थापना

स्थापनाकर्ता: 14-चोखला पंचाल समाज

विधि: वैदिक विधि से उत्तर-पूर्व कोने में

निष्कर्ष

श्री त्रिपुरा सुंदरी मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक फैला हुआ है। पंचाल समाज 14 चोखरा के निरंतर प्रयासों से यह मंदिर आज एक भव्य और आधुनिक धार्मिक केंद्र बन गया है। माँ त्रिपुरा सुंदरी की कृपा से यह स्थान न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि सांस्कृतिक विरासत का भी संरक्षण करता है।

जय माँ त्रिपुरा सुंदरी 🙏

Online Pujas & Donations

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Available Pujas

Maha Aarti

₹51

Duration: 30 min

Navratri Special Pooja

₹101

Duration: 1 hour

Havan & Yagna

₹501

Duration: 2 hours

Abhishek Pooja

₹251

Duration: 45 min

Sahasra Chandi Path

₹1001

Duration: 3 hours

Annual Seva

₹5001

Duration: Full Year

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Quick Amounts:

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पंचाल समाज का परिचय

भारत की पारंपरिक लुहार जाति की एक विशिष्ट उपजाति - भगवान विश्वकर्मा के अनुयायी

Panchal Samaj 14 Chokhra Logo

जय विश्वकर्मा

पंचाल समाज 14 चोखरा

बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर

कर्म को पूजा मानने की भावना

समाज का परिचय

पंचाल समाज, भारत की पारंपरिक लुहार जाति की एक विशिष्ट उपजाति है, जो मुख्यतः राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में निवास करती है। यह समाज भगवान विश्वकर्मा को अपना आदिगुरु एवं आराध्य मानता है, जो शिल्प, वास्तु और निर्माण कार्यों के देवता हैं।

पारंपरिक रूप से पंचाल समाज धातु कार्य, लोहे व तांबे की वस्तुएं बनाने, औजार निर्माण, भवन निर्माण, शिल्पकला और मूर्तिकला जैसे व्यवसायों में निपुण रहा है। यह समाज 'कर्म को पूजा मानने' की भावना के साथ अपने परिश्रम और हुनर से समाज और राष्ट्र की सेवा करता रहा है।

मुख्य कौशल

धातु कार्य, औजार निर्माण, शिल्पकला

मुख्य क्षेत्र

राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश

पंचाल समाज की पहचान और विशेषताएँ

पारंपरिक व्यवसाय

लोहे, तांबे, पीतल आदि धातुओं से औजार बनाना, कृषि उपकरण तैयार करना, मशीनरी पार्ट्स और घरेलू वस्तुएं बनाना।

धार्मिक आस्था

भगवान विश्वकर्मा, माता त्रिपुरा सुंदरी और अन्य हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा।

शिक्षा और कौशल

आधुनिक समय में समाज ने शिक्षा, तकनीकी क्षेत्र, व्यवसाय और सरकारी सेवाओं में भी अग्रसरता दिखाई है।

संस्कृति और परंपरा

विवाह, त्योहार और पारिवारिक आयोजन पारंपरिक रीति-रिवाजों से संपन्न किए जाते हैं।

सामाजिक संगठन

पंचायत, समाज मंडल, और ट्रस्ट के माध्यम से एकजुटता और सामाजिक सेवा।

पंचाल समाज का उद्देश्य
1

समाज के युवाओं को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाना।

2

पारंपरिक शिल्प और कार्यशैली को आधुनिक तकनीक से जोड़ना।

3

सामाजिक एकता और सहयोग की भावना को बनाए रखना।

4

महिला सशक्तिकरण और कौशल विकास को प्रोत्साहन देना।

पंचाल समाज के 14 चोखरा

राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर, प्रतापगढ़ और समीपवर्ती क्षेत्रों में फैले हुए

लोहारिया
चौरासी
बाँसवाड़ा
तरपोत
खमेरा
पारसोला
पथोक
डूँगरपुर
बोरी
बेताली
मैयोड़
खड़ग
परतापुर
सागवाड़ा

प्रत्येक चोखरा की अपनी सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान है, परंतु ये सभी पंचाल समाज की समृद्ध विरासत का हिस्सा हैं।

मंदिर ट्रस्ट प्रबंधन

Temple Trust Management

अध्यक्ष

President

श्रीमान धूलजी भाई पंचाल - अध्यक्ष

श्रीमान धूलजी भाई पंचाल

Shri Dhulji Bhai Panchal

पंचाल समाज 14 चोखरा के सम्मानित अध्यक्ष, मंदिर के विकास और संचालन में अग्रणी भूमिका निभाते हैं।

अध्यक्षPresident
महामंत्री

General Secretary

श्रीमान नटवरलालजी पंचाल - महामंत्री

श्रीमान नटवरलालजी पंचाल

Shri Natwarlal Ji Panchal

मंदिर ट्रस्ट के महामंत्री, दैनिक प्रबंधन और समुदायिक कार्यों के संयोजक।

महामंत्रीGeneral Secretary
मंदिर ट्रस्ट की जानकारी

Temple Trust Information

ट्रस्ट विवरण

ट्रस्ट नाम:मंदिर श्री त्रिपुरा सुंदरी 14-चोखला पंचाल समाज
पंजीकरण:23.12.1978
अधिनियम:राजस्थान सार्वजनिक ट्रस्ट अधिनियम 1959
क्षेत्राधिकार:बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले

समुदायिक सेवा

• पंचाल समाज 14 चोखरा का प्रतिनिधित्व

• धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन

• समुदायिक कल्याण योजनाओं का संचालन

• मंदिर के दैनिक संचालन की देखरेख

संपर्क सूत्र

मंदिर कार्यालय:

+91 79 2550 1234
info@tripurasundari.org

पंचाल समाज कार्यालय:

+91 98765 43210
contact@panchalsama14chokhra.org

सेवा का संकल्प

"माँ त्रिपुरा सुंदरी की कृपा से हमारा ट्रस्ट निरंतर समुदाय की सेवा में समर्पित है। धर्म, संस्कृति और सामाजिक कल्याण के माध्यम से हम सभी भक्तों की सेवा करते रहेंगे।"

सूचना एवं प्रेस विज्ञप्ति

महत्वपूर्ण सूचनाएं और आगामी कार्यक्रम

🔔 सूचना: पंचाल समाज 14 चोखरा परिचय सम्मेलन दिनांक 22 जून 2025, सुबह 9 बजे से मां त्रिपुरा सुंदरी मंदिर प्रांगण में आयोजित होगा। • 📢 महत्वपूर्ण: नवरात्रि महोत्सव 2025 के लिए पंजीकरण शुरू हो गया है। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें। • 🎉 शुभ समाचार: मंदिर में नई सुविधाओं का उद्घाटन 15 मार्च 2025 को होगा।
पंचाल समाज 14 चोखरा परिचय सम्मेलन
सम्मेलन
विस्तार से देखें

पंचाल समाज 14 चोखरा परिचय सम्मेलन

22 जून 2025, मां त्रिपुरा सुंदरी मंदिर

22 जून 2025
मंदिर प्रांगण
नवरात्रि महोत्सव 2025
त्योहार
विस्तार से देखें

नवरात्रि महोत्सव 2025

9 दिवसीय भव्य आयोजन

अक्टूबर 2025
मंदिर परिसर
सांस्कृतिक कार्यक्रम
कार्यक्रम
विस्तार से देखें

सांस्कृतिक कार्यक्रम

पारंपरिक नृत्य एवं संगीत

15 मार्च 2025
सभागार
दान शिविर आयोजन
सेवा
विस्तार से देखें

दान शिविर आयोजन

समाज सेवा कार्यक्रम

30 अप्रैल 2025
मुख्य हॉल
शिक्षा एवं रोजगार सेमिनार
सेमिनार
विस्तार से देखें

शिक्षा एवं रोजगार सेमिनार

युवाओं के लिए मार्गदर्शन

10 मई 2025
सभागार
निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर
स्वास्थ्य
विस्तार से देखें

निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर

चिकित्सा जांच एवं परामर्श

25 मई 2025
मंदिर प्रांगण
सामूहिक विवाह मिलन
विवाह
विस्तार से देखें

सामूहिक विवाह मिलन

पारंपरिक विवाह समारोह

12 दिसंबर 2025
मंदिर परिसर
वार्षिक आम सभा
सभा
विस्तार से देखें

वार्षिक आम सभा

समाज की वार्षिक बैठक

31 दिसंबर 2025
मुख्य सभागार

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Events & Cultural Gallery

Celebrating Our Rich Heritage & Community Spirit

Upcoming Events

Navratri Celebration 2024
Festival

Navratri Celebration 2024

October 15-24, 2024
Temple Premises
Expected: 500+
Samaj Annual Meet
Community

Samaj Annual Meet

November 10, 2024
Community Hall
Expected: 200+
Cultural Program
Cultural

Cultural Program

December 5, 2024
Mandir Auditorium
Expected: 300+

Cultural Gallery

Garba Night 2023

Garba Night 2023

Video
Temple Inauguration

Temple Inauguration

Photo
Community Yatra

Community Yatra

Photo
Sammelan Highlights

Sammelan Highlights

Video
Festival Celebrations

Festival Celebrations

Photo
Cultural Dance

Cultural Dance

Video
Distinguished Visitors

Eminent Personalities Who Blessed Our Temple

VIP Visit - Formal Ceremony

Distinguished guests at temple ceremony

Historical moment at temple

1 / 9

Notable VIP Visits Include:

H'ble President Smt. Pratibha Patil
Former Vice President Shri Bhairao Singh Shekhawat
Chief Justice Shri Rangnath Mishra
+ 26 More Distinguished Guests
29+
VIP Visitors
5+
Presidents/VPs
10+
Chief Ministers
8+
Saints & Gurus

🏛️ Temple blessed by Presidents, Chief Ministers, Chief Justices, Saints & Distinguished Leaders

Constitutional Posts
Political Leaders
Spiritual Leaders
Judiciary

How to Reach & Contact

Complete Travel Guide to Sacred Shaktipeetha

How to Reach Shree Tripura Sundari Temple

One of the 51 Sacred Shaktipeeths in Banswara, Rajasthan

By Air

Udaipur Airport (UDR)

132 km

Nearest and most convenient airport. Hire taxi or take bus from Udaipur to Banswara (4-5 hours).

Alternatives:

Indore Airport (166 km)

Ahmedabad Airport (193 km)

By Train

Ratlam Junction (MP)

80 km

Major railway station well-connected to Delhi, Mumbai, Ahmedabad, and Jaipur.

Alternatives:

Udaipur Junction (132 km)

Dungarpur (105 km)

By Road/Bus

Banswara Bus Stand

20 km to temple

Well connected by RSRTC and private buses from major cities.

Alternatives:

From Udaipur: 4-5 hours

From Ratlam: 2 hours

From Ahmedabad: 4 hours

By Personal Vehicle

Well-maintained roads

Scenic routes

Pleasant journey with good road connectivity from all major cities.

Alternatives:

Udaipur: 132 km

Ratlam: 80 km

Ahmedabad: 193 km

Complete Temple Address

Shree Tripura Sundari Temple

Village Umrai, Near Talwara

District Banswara, Rajasthan – 327001

One of the 51 Sacred Shaktipeeths

Visitor Information

Open: Every day

Timings: 9:00 AM – 9:00 PM

Best time to visit: Navratri, Diwali, Sharad Poornima

Facilities: Parking, food stalls, local shops, resting areas

Temple Location

Maa Tripura Sundari Temple

Near Umrai Village, Banswara, Rajasthan

Open in Maps
Contact Information

Phone

+91 79 2550 1234

+91 98765 43210

Email

info@tripurasundari.org

contact@panchalsama14chokhra.org

Temple Timings

Morning: 5:00 AM - 12:00 PM

Evening: 4:00 PM - 9:00 PM

Distance Chart from Major Cities
Udaipur
132 km
4-5 hours
Ratlam
80 km
2 hours
Ahmedabad
193 km
4 hours
Indore
166 km
3-4 hours
Dungarpur
105 km
2.5 hours
Mount Abu
150 km
3.5 hours

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